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राजनीति और अन्याय पर कटाक्ष: सबसे प्रभावशाली कविताएँ और शायरी

राजनीति, सत्ता, और अन्याय का खेल सदियों से चला आ रहा है। जहाँ एक ओर सरकारें जनता के हक और अधिकारों की बात करती हैं, वहीं दूसरी ओर अक्सर वही सरकारें लोगों की आवाज़ दबाने में भी पीछे नहीं रहतीं। समाज में बढ़ते अत्याचार, सत्ता की मनमानी, और आम नागरिकों के अधिकारों के हनन पर लिखी गई कविताएँ सिर्फ शब्द नहीं होतीं, बल्कि वे एक आंदोलन का रूप ले सकती हैं।

आज की दुनिया में, जहाँ सच्चाई को दबाने और झूठ को बढ़ावा देने का प्रयास किया जाता है, वहाँ साहित्य, शायरी और कविताएँ एक मज़बूत हथियार बन सकती हैं। जब न्याय की पुकार अनसुनी कर दी जाती है और सत्ता अपने ही स्वार्थ में लिप्त हो जाती है, तब ऐसे शब्द जन्म लेते हैं जो क्रांति की चिंगारी बन सकते हैं।

इस लेख में, हम राजनीति, अन्याय, लोकतंत्र, और समाज में फैले भ्रष्टाचार पर लिखी गई कुछ बेहतरीन कविताओं और शायरियों को साझा कर रहे हैं। ये कविताएँ न केवल आपको सोचने पर मजबूर करेंगी, बल्कि आपको अपनी आवाज़ बुलंद करने के लिए भी प्रेरित करेंगी। आइए पढ़ें और साझा करें इन प्रभावशाली कविताओं को, जो बदलाव लाने का संदेश देती हैं!

गंदी राजनीति पर कविता

हक के हक़दारों के लिए कौन बोले
रोज होते अत्याचारों के लिए कौन बोले
वो सब हक की बातें करते हैं यहाँ
मरते जीवन के अधिकारों के लिए कौन बोले?

- किशोर चौहान




न्याय के लिए संघर्ष पर उद्धरण

जीत जाए हम अब अपनी ऊंची हारों से
उठती है आवाज यहाँ अपने हक के नारों से
दब जाती हैं बातें, ऊँची-ऊँची सरकारों से
शोषित ऊपर आएंगे सब अपने ही अधिकारों से
 
- किशोर चौहान

अन्याय और जीवन पर विचार

दुःख के रास्तों से गुज़र रही है ज़िन्दगी
इस क़दर हादसों से गुज़र रही है ज़िन्दगी
सरकार ध्यान दे तो अच्छा है
दुःख होता है ऐसे मर रही है ज़िन्दगी

- किशोर चौहान

अन्याय और चुप्पी पर विचार

लोकतांत्रिक देश में जब मजलूमों की आवाज़ दबाई जाती है, जब न्याय पीछे रह जाता है और अन्याय हावी होता है, तब हमें अपनी आवाज़ को शब्दों के माध्यम से आगे लाने की जरूरत होती है।

सपनों की सौगात के लिए लिखेंगे
अपने हक की बात के लिए लिखेंगे

न्याय की पुकार के लिए लिखेंगे
सपनों के सार के लिए लिखेंगे

अपनों के अधिकार के लिए लिखेंगे
सपनों के साकार के लिए लिखेंगे

बातों से सरकार के लिए लिखेंगे
हक है हम हक़दार के लिए लिखेंगे।

- किशोर चौहान

अन्याय और दमन पर उद्धरण

अपने हक के हकदार बनें
उनके सपने साकार बनें
मिले उनको लाभ अपने अधिकारों का
जो उनके जीवन का सार बनें

- किशोर चौहान

सत्ता के खिलाफ शायरी

जब सरकार क्रूर बन जाती है, तब हमें लिखना चाहिए और बताना चाहिए कि सरकारों का परिणाम क्या होगा।

उम्मीद की किरण जहाँ हो
सबके लिए बस इतना हो
जहाँ हो मेहनत और हक की बात तो
न्याय के हक में सही फैसला हो।

- किशोर चौहान

वर्तमान राजनीति पर कटाक्ष

मुद्दों पर अधिकारों का देश
भारत है अब सरकारों का देश
अब रोज़ दबती हैं हक की आवाज़ें
भारत बन गया है अत्याचारों का देश

- किशोर चौहान

ईमानदारी की राजनीति या राजनीति का व्यापार?

संसद में हाहाकार होता है भारत देश में
सब जगह भ्रष्टाचार होता है भारत देश मे
कितना अत्याचार होता है भारत देश में
मीडिया का व्यापार होता है भारत देश में
क्या नेता ईमानदार होता है भारत देश मे

-किशोर चौहान

सियासत पर बेहतरीन पंक्तियाँ

वो सियासत में झूठ के संसार तले दब गए
कुछ सच कहते ऐसे अशआर तले दब गए

जीत कैसे मिलती उनको झूठ दिखाया जिसने
झूठे लोग थे इसलिए हार तले दब गए

बड़े-बड़े नाम थे जो दिखावा करने आए
वो भी अब छोटे सच्चे किरदार तले दब गए

झूठ फैलाकर जीत जाने को थे लोग यहाँ वे
अब सच की ऊँची सरकार तले दब गए

झूठ-झूठ कहते रहे लोग बहुत, क्या कहें
जीत हुई सच की, झूठे अपने सार तले दब गए

- किशोर चौहान
(अशआर का अर्थ है :- शेरों का संग्रह या कई दोहे)


निष्कर्ष

राजनीति में सच्चाई और न्याय की आवाज़ बुलंद करना जरूरी है। ये कविताएँ और उद्धरण हमें सोचने और सवाल उठाने के लिए प्रेरित करते हैं। अन्याय के खिलाफ खड़े होने का समय अब है!
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